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कपडे डाइंग करने के लिए आठ हज़ार प्रकार के केमिकल इस्तेमाल होते है: नम्रता मनो
27/01/2018 - उदयपुर। शिक्षांतर और अहमदाबाद की बायोम संस्था के संयुक्त तत्वावधान में उदयपुर में एक कार्यशाला आयोजित की गई जिसका उद्देश्य लोगो में प्राकृतिक तरीके से निर्मित और डाइंग किये गए कपड़ो के इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करने और जागरूकता फ़ैलाने के लिए किया गया। बायोम की नम्रता मनोत ने बताया की नेचुरल तरीके से कपडे डाइंग से प्रकृति का कम से कम नुक्सान होता है। जबकि सिंथेटिक प्रोसेसर से कपडे डाइंग करने में प्रकृति को बहुत ज़्यदा नुकसान होता है, बल्कि यह शरीर के लिए हानिकारक है क्यूंकि सिंथेटिक तरीके से कपडे डाइंग करने के लिए अत्यधिक केमिकल इस्तेमाल किया जाता है तकरीबन आठ हज़ार प्रकार के केमिकल इस्तेमाल होते है जो त्वचा के लिए हानिकारक है। नम्रता मनोत के अनुसार नेचुरल तरीके से बनाये गए कपड़ो की लागत सिंथेटिक कपड़ो की तुलना में कुछ महंगी भी होती है और इसके अलावा इसमें बहुत कलर के शेड्स अवेलेबल नहीं होते है फिर भी हमने कोशिश की है की और इनकी डिज़ाइनिंग पर ध्यान दिया है ताकि यह आने वाले वक़्त में फैशन के तौर पर जनमानस को अपनी ओर आकर्षित कर सके। अहमदाबाद के अरुण बैद ने बताया की सिंथेटिक कपड़ो के निर्माण में काफी मात्रा में पानी का दुरूपयोग हो जाता है और यह पानी इतना प्रदूषित हो जाता है के इनको दुबारा प्रयोग नहीं किया जा सकता है। जबकि नेचुरल तरीके से डाइंग किये गए कपड़ो के निर्माण में पानी का बहुत कम उपयोग होता है और यह पानी वापिस उपयोग में भी लिया जा सकता है। कार्यशाला में साधना के सदस्य, कारोबारी और अन्य गणमान्य नागरिको ने हिस्सा लिया।
By : Suresh Lakhan