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शिक्षा मे समानता एवं श्रेष्ठता: वैश्विक चुनौतियां विषयक सम्मेलन

शिक्षा से समानता के लिए उचित कार्यनीति की जरूरत
देश विदेश से आए शिक्षकों एवं शोधार्थियो को शुभकामनाऐं दी

01/09/2018 - उदयपुर। काॅमनवेल्थ काउन्सिल आॅफ एज्युकेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एण्ड मैनेजमेंट के भारतीय संगठन की ओर से शिक्षा मे समानता एवं श्रेष्ठता: वैश्विक चुनौतिया विषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के सभागार में दिनांक 27 से 30 अगस्त के दौरान किया गया। सेमीनार का समापन समारोह 30 अगस्त 2018 को हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विनिता बोहरा, आयुक्त देवस्थान विभाग राजस्थान ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ए. प्रभाकरण, पूर्व निदेशक, राज्य शिक्षा प्रोद्योगिकी संस्थान, केरल सरकार थे।
समापन कार्यक्रम मे प्रोफेसर पी. के. दशोरा, पूर्व कुलपति कोटा कृषि विश्वविद्यालय ने वेलीडिक्टरी भाषण दिया एवं विशिष्ट अतिथि डाॅ. सी.पी. माथुर, मनोवैज्ञानिक सलाहकार, शिक्षा एवं मानव संसाधन सलाहकार एवं पूर्व प्रधानाध्यापक, जैन शिक्षक प्रशिक्षण काॅलेज, अलवर एवं डाॅ. वी. एम. शशि कुमार, संयोजक सीसीईएम (भारत) ने भी उद्बोधन दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। अतिथियों के स्वागत उपरांत, सम्मेलन की निदेशिका डाॅ. हेमलता तलेसरा ने अतंरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्देष्यों, गतिविधियों एवं अन्य पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। डाॅ. के. राजेश्वरी, सह आचार्य, केरल द्वारा 4 दिनों के दौरान आयोजित हुए विभिन्न सत्रों की विस्तार पूर्वक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
सम्मेलन में निम्न अनुशंसाऐं की गई-
1. भारतीय संविधान के अनुरूप शिक्षा के द्वारा समानता को प्रभावकारी रूप से अपनाने की जरूरत। 2. सभी शिक्षण संस्थाओं मे शिक्षा में समानता पर विशेष ध्यान दिया जायें। 3. शिक्षा मे समानता को लागू करने के लिए अध्यापक समुदाय को पुनः अभिविन्यासित करने की आवश्यकता। 4. सरकारी संस्थाओं के माध्यम से मीडिया को अभिविन्यासित करने की दिशा मे सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता जिससे समानता एवं ग्राम सशक्तिकरण बढे़। 5. लोगो के सशक्तिकरण एवं समानता के विकास के सन्दर्भ में भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं पहचान को बढ़ावा देने हेतु उचित कार्यनीति बनाने की जरूरत।
डाॅ. पी. के. दशोरा ने समानता एवं श्रेष्ठता के पैमानों एवं मापदण्डों पर प्रकाश डाला साथ ही समस्त शिक्षक समूह को शोधकार्यो में मौलिकता एवं प्रासंगिकता को ध्यान मे रखने की सलाह दी। प्रतिभागियों ने अपने इन चार दिवसों के दौरान हुए अनुभवों को सदन के बीच सांझा किया। सभी ने आश्वासन दिया कि इस सम्मेलन से प्राप्त हुए अनुभवों एवं सीखी गई बातों को अपने कार्यक्षेत्र में अमल मे लाने का प्रयास करेंगे। विनिता बोहरा, आयुक्त देवस्थान विभाग ने आशा जताई कि सम्मेलन मे विस्तृत रूप से की गई चर्चा की विषय-वस्तु को सभी प्रतिभागी व्यावहारिक रूप से जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे। उन्होंने आयोजनकर्ताओं को बधाई देते हुऐ सभी प्रतिभागियों एवं सभा में उपस्थित देश विदेश से आए शिक्षकों एवं शोधार्थियो को शुभकामनाऐं दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. प्रभाकरण ने भारत में शिक्षा क्षेत्र में समय समय पर गठित विभिन्न कमीशनों का जिक्र करते हुए इस बात पर बल दिया कि हमारे देश मे समानता के अवसर उपलब्ध करवाने की दिशा मे सरकार अथक रूप से प्रयासरत है तथा हमारा संविधान भी हमारे समानता के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए कटिबद्ध है। अन्त मे डाॅ. उषाश्री, उपाध्यक्ष, सीसीईएएम भारत ने सम्मेलन मे चर्चा एवं विचारों के मंथन द्वारा निकाली गई अनुषंसाओं को सदन के बीच रखा। इन पर सभी की सहमति उपरान्त ‘उदयपुर घोषणा, अगस्त 30, 2018’ के रूप में प्रो. पी. के. दशोरा द्वारा औपचारिक रूप से उद्घोषित किया गया। कार्यक्रम में शिक्षाविद् डाॅ. उषा राॅव, पूर्व प्राचार्य, गोखले ऐजुकेशन सोसाइटी, मुम्बई एवं श्रीमान् आर. के. अग्रवाल, अग्रवाल आॅफसेट का सम्मान एंव अभिवादन किया गया। धन्यवाद की रस्म डाॅ. राजेश मंत्री, राज्य काउन्सिल के वित्त सचिव। कोषाध्यक्ष (आर. सी. ई. ए. एम.) ने अदा की एवं कार्यक्रम का संचालन किया – डाॅ. शांउली चक्रवर्ती आचार्य ने किया।


By : Suresh Lakhan

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