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जानिए संतान-निर्माण का मनोविज्ञान : धीरज अरोड़ा
19/09/2018 - उदयपुर। बच्चे पैदा करना जैविक घटना है, किन्तु उसे पालना, संस्कार देना सामाजिक घटना है, बच्चे राष्ट्र की धरोहर हैं, यदि परवरिश में कोई गलती होती है तो पूरे समाज को इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है, सही परवरिश महत्वपूर्ण किन्तु चुनौतीपूर्ण कार्य है,परिवार पहली पाठशाला है, बच्चे परिवार से आचरण सीखते हैं, वे कहने से अधिक हमारे व्यवहार से सीखते हैं, वे हमसे सफलता और आनंद के उच्च शिखर पर पहुँचने या नाकामयाबी का नज़रिया भी ले सकते हैं, ये हम पर निर्भर करता है।
भविष्य में संतान कि चुनौतियाँ हमसे अलग तरह की होंगी, उन्हें वैश्विक परिपेक्ष्य में प्रोद्यौगिकी, जीवन मूल्य, परिवार एवं स्वयं से सामंजस्य बनाना होगा, हमें बाल-मनोविज्ञान और प्रत्येक बच्चे के अनूठेपन को ध्यान रखकर बच्चे को पालना होगा।
इस बुनियादी और प्रासंगिक विषय पर युवा दार्शनिक धीरज अरोड़ा ने पुस्तक लिखी है संतान-निर्माण : परवरिश के प्रभावी सूत्र यह पुस्तक परवरिश के साथ ही स्व-प्रबंधन के सूत्र समेटे है, यह बच्चे को समझने उसकी प्रतिभा को पहचानने, जड़ों से जोड़ने तथा उसकी असीम संभावनाओं को विकसित करने में मदद करेगी, विषय क्रम में संतान-जन्म, स्वास्थ्य, बाल-मनोविज्ञान, अन्तर्सम्बन्ध, शिक्षा, बच्चे से संवाद, स्वतंत्रता एवं अनुशासन, आचरण, प्रतिभा-पहचान, नवाचार, किशोर से व्यवहार, कॅरियर-चयन आदि है।
पुस्तक में अभिभावकों के सामने प्रतिदिन आने वाली तमाम कठिनाइयों के समाधान हैं, यह केवल टिप्स नहीं गहरी समझ के सूत्र देने वाली अनूठी पुस्तक है।
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उल्लेखनीय है कि धीरज अरोड़ा एवं लक्ष्या चतुर्वेदी द्वारा परवरिश पर देशभर में सेमीनार एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।
Mob. 7742196177, 9214446286, Email : dheerajarora2029@gmail.com
By : Amit Sethia