Views of MewarTimes

खबर






दिल का दौर पड़ने पर पहला घंटा बचाव के लिए महत्वपूर्ण

आमजन को सिखाया इमरजेंसी में जान बचाना

19/10/2018 - उदयपुर। एम.बी. हॉस्पिटल के एनेस्थिसिया विभाग की ओर से हॉस्पिटल के मुख्य पोर्च में गुरुवार को आमजन को संजीवनी टेक्नीक से रुबरु कराया गया। इसमें घुटना, दुर्घटना व हार्ट अटैक के समय छाती में कम्प्रेशन देकर कैसे रोगी की जान बचाई जा सकती है, के बारे में बताया गया। विश्व एनेस्थिसिया सप्ताह के तहत गुरुवार को रेजीडेंट डॉक्टरों ने सीपीआर की ट्रेनिंग दी। इण्डियन सोसायटी आॅफ ऐनेस्थिसियोलोजिस्ट्स के अध्यक्ष डॉ. ललित रेगर ने बताया कि इस सप्ताह स्कूलों, कॉलेजों में भी सीपीआर की ट्रेनिंग दी जाएगी। गुरुवार को ट्रेनिंग पीजी डॉक्टर संदीप चौधरी व डॉ. बाबूलाल ने दी। मानव डमी पर सीपीआर करना सिखाया गया ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल जान बचाई जा सके।
क्या है सीपीआर:
डॉ. ललित रेगर ने वहां मौजूद लोगों को बताया कि दिल का दौर पड़ने पर पहले एक घंटे को स्वर्णिम घंटा माना जाता है। इसी में हम मरीज की जान बचा सकते हैं। कभी कभी एंबुलेंस या अन्य मेडिकल सुविधा तत्काल उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में हमें सीपीआर के बारे में पता होना चाहिए ताकि मरीज की जान बच सके।
सीपीआर का मतलब है कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन। यह एक प्राथमिक चिकित्सा है। जब कोई सांस लेने में असमर्थ हो जाए, बेहोश जो जाए या हार्ट अटैक आ जाए तब सबसे पहले और समय पर सीपीआर से ही किसी की जान बचाई जा सकती है। इसीलिए इसे संजीवनी क्रिया भी कहते है। जब कभी किसे बिजली का झटका लग जाए, दम घुटने पर या पानी में डूबने पर सीपीआर कई बार संजीवनी बन जाती है।


By : Sameer Banerjee

विज्ञापन