Views of MewarTimes

खबर






डिग्रियां जरुरी लेकिन नवाचार करने वालों को भी मिले प्रोत्साहन

आईआईटी की क्षमता दस हजार विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने की
33वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस संपन्न

26/12/2018 - उदयपुर। शिक्षा व डिग्री जरूरी है लेकिन उससे ज्यादा जरुरी है कि नवाचार करने वालों को प्रोत्साहन मिले। देश में एक ओर आम आदमी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्षरत है, दूसरी ओर हमें चिकित्सा, रक्षा व आंतरिक क्षेत्र में नए आयामों को छूना है। यह विचार इंस्टीट्यूशन आॅफ इंजीनियर्स की 33वीं कांग्रेस में देशभर से जुटे इंजीनियर्स ने व्यक्त किए जिनका मानना था कि हमारे इंजीनियर्स विश्वस्तरीय हैं व आईआईटी से बेहतरीन इंजीनियर्स लगातार तैयार हो रहे हैं। आईआईटी की क्षमता दस हजार विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने की है, लेकिन इसका मतलब कतई नहीं है कि जो बच्चे आईआईटी में नहीं पढ़ पा रहे हैं, वे बुद्धिमत्ता में कमतर हैं।
आयोजन समिति के अध्यक्ष इंजीनियर सोहनसिंह राठौड़ ने बताया कि शोधार्थियों ने विभिन्न विशेषज्ञों के समक्ष विचार रखे तो विशेषज्ञों ने चुनौतियों व अवसरों के बारे में बताया। आईआईटी-जोधपुर के डायरेक्टर प्रो. शांतनु चौधरी ने कहा कि देश में ब्रेन और टेलेंट का मुकाबला दुनिया में कोई नहीं कर सकता, मगर जब तक सही प्लेटफार्म उपलब्ध नहीं हो पाएगा, तब तक डिग्रियों का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण और इंप्लीमेंटेशन के स्तर पर कुछ समस्याएं हैं, जिन्हें दूर कर समावेशी विकास के लक्ष्य को पाया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय सत्र में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका साहित अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र की वैश्विक चुनौतियों पर विचार करते हुए कहा, तकनीकी के साथ ही साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अब भी कई देशों में बहुत कुछ किया जाना शेष है। तकनीकी ने हमें सुरक्षा व सुविधा तो प्रदान की ही है लेकिन साइबर खतरों की अनदेखी नहीं की जा सकती। डॉ. रघुनाथ के शेवगांवकर, वीसी, बैनेट यूनिवर्सिटी ने कहा की आॅप्टिकल कम्युनिकेशन क्षेत्र में इंजीनियर्स के लिए नौकरी के कई सुनहरे मौके हैं। वायरलेस और आॅप्टिकल फाइबर केबल के सहयोग से देश की संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है। हमारा देश ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धा कर रहा है। न्यूक्लियर व विमानन प्रौद्योगिकी में हम दुनिया के कई विकसित देशों से बहुत आगे पहुंच चुके हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में देश में बहुत कुछ किया जाना शेष है। विद्यार्थियों के लिए संदेश है कि वे उच्च मानकों पर वो शोध आधारित कार्य करें।
सादिक मोहम्मद चौधरी, चेयरमैन, इंस्टीट्यूशंस आॅफ इंजीनियर्स, बांग्लादेश ने कहा की बांग्लादेश में इंजीनियर्स का इस समय सबसे ज्यादा फोकस ऊर्जा संकट को कम करने पर है व उन्होंने बहुत हद तक सफलता पाई है। भारत में हमें स्टील और ऊर्जा क्षेत्र में बहुत सहयोग मिल रहा है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बांगलादेश में भी नौकरियों का वैसा ही संकट है जैसा कि भारत में है।


By : Sameer Banerjee

विज्ञापन